Sunil Basak and his family are living in distress.
Sunil Basak and his family are living in distress.

महामारी ने पिछले 2 सालों से गरीब लोगों की कमर तोड़ कर रख दिया है। रोजी रोटी के साधन बंद हो गए हैं और ऐसे में गरीब लोगों को बहुत तकलीफ में दिन गुजारना पड़ रहा है। सर पर छत नहीं है। घर पूरी तरह से टूट फूट गया है। किसी तरह से फटे पॉलिथीन से ठंड के इस मौसम में अपने को बचा रहे हैं। आर्थिक स्थिति इतनी ज्यादा खराब है कि एक पॉलिथीन खरीदने की भी स्थिति नहीं है। मालदा के चांचल एक नंबर ब्लॉक के उत्तरपारा के रहने वाले सुनील बसाक की हालत बहुत ही देयनीय हो गई है। पेशे से मजदूरी करते हैं और उसी से अपने परिवार चलाते हैं। ठंड के मौसम में उनके परिवार को बहुत दिक्कत उठानी पड़ती हैं। पॉलिथीन के फट जाने से सुनील बसाक के पास इतना पैसा नहीं है कि एक नया पॉलिथीन ले आए। और यही वजह है कि किसी तरह सेलो टेप लगाकर पॉलिथीन को बचाने में जुटे हुए हैं। यह दृश्य को देखकर किसी के भी आंखों में पानी आ जाता है। लेकिन नेताओं को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। ऐसा नहीं है कि गांव के राजनीतिक नेता को सुनील बसाक की स्थिति का पता नहीं। लेकिन सब कुछ देख कर भी कोई कुछ नहीं कर रहा। चुनाव के वक्त सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं। गरीबों को घर देने के बात सरकार करती रहती हैं।लेकिन सुनील बसाक के भाग्य में आज भी सरकारी घर नसीब नहीं हुआ है।

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