Story of Hindu Muslim
Story of Hindu Muslim

भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र होते हुए भी पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि हिंदू और मुसलमानों के बीच खाई बढ़ती जा रही हैं। बावजूद इसके अभी भी कई ऐसे उदाहरण देखने को मिल जाएंगे जहां पर हिंदू और मुसलमान एक दूसरे के सुख दुख में साथ खड़े नजर आते हैं। लेकिन धर्म के ठेकेदारों और राजनीतिक पार्टियों ने अपने मतलब सिद्ध करने के लिए हिंदू और मुसलमानों को लड़ाए रखा। इसके बावजूद भी ऐसे अनेक हिंदू और मुसलमान परिवार है जो एक दूसरे को संकट की घड़ी में मदद करते हैं। जी हां बीते कल एक ऐसा ही बाकया उत्तर बंगाल के उदलाबाड़ी में देखने को मिला। जहां एक मुसलमान ने अपने पड़ोसी विनोद उड़िया की मृत्यु के बाद उसके श्राद्ध का सारा इंतजाम किया। विनोद उड़िया बहुत ही गरीब था और मजदूरी करके किसी प्रकार अपना परिवार चलाता था। मृत विनोद उड़िया अपने पीछे अपनी पत्नी, एक बेटा और दो बेटी को छोड़ गए हैं। किडनी की खराबी की वजह से विनोद उड़िया की मौत हो गई थी। विनोद उड़िया का परिवार इतना गरीब है कि विनोद के श्राद्ध के लिए भी उनके पत्नी के पास पैसा नहीं था। ऐसे में उनके ही पड़ोसी एक मुसलमान परिवार ने मृत विनोद उड़िया की पत्नी को हर प्रकार से मदद किया। पड़ोस के रहने वाले मुस्लिम भाई मोहम्मद साबलू दिवंगत विनोद उड़िया के श्राद्ध कु सारी व्यवस्था करवाया ।उन्होंने खुद सारा खर्च किया। इतना ही नहीं श्रद्धा से संबंधित सारे सामानों की खरीददारी भी मोहम्मद साबलू ने खुद जाकर किया। विनोद उड़िया के आत्मा की शांति के लिए मोहम्मद साबलू ने 200 से ज्यादा लोगों को को खाना खिलाया। मोहम्मद साबलू ने जिस प्रकार विनोद उड़िया के परिवार को मदद किया है, वह अपने आप में आपसी भाईचारे का एक बहुत बड़ा उदाहरण है। मोहम्मद साबलू ने बताया कि दुख की घड़ी में किसी को मदद करना सबसे बड़ा धर्म है। इंसानियत ही इंसान के सबसे बड़े धर्म है मोहम्मद साबलू ने बताया कि विनोद उड़िया बहुत ही गरीब थे और उनके परिवार के पास इतना पैसा नहीं है कि वह श्राद्ध का काम करते हैं। यही वजह है कि मैंने इस परिवार को थोड़ा मदद किया है। मोहम्मद साबलू ने आगे बताया कि विनोद उड़िया कि दोनों बेटी की शादी की जिम्मेदारी भी मैं उठाने को तैयार हूं। बीते कल विनोद उड़िया के घर के आंगन में दिवंगत विनोद का श्राद्ध हिंदू धर्म के मुताबिक विधि विधान के साथ किया गया। श्राद्ध के दौरान मोहम्मद साबलू खुद खड़े होकर सारा काम की देखरेख करते हैं। दिवंगत विनोद उड़िया की पत्नी ने बताया कि एक मुसलमान भाई ने मुझे जिस प्रकार मदद किया है उसे मैं जिंदगी भर उसे नहीं भूलूंगी। मोहम्मद साबलू भाई ने मुझे मदद करके यह साफ कर दिया है कि इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है होता है। श्राद्ध के दौरान मोहम्मद साबलू कई बार भावुक हो गए थे और रो पड़े थे। जिस प्रकार मोहम्मद साबलू ने आदिवासी परिवार को मदद किया है वह हमेशा याद रखा जाएगा। मोहम्मद साबलू ने देश के नेताओं और धर्म के ठेकेदारों को यह सिखाने की कोशिश किया है कि अब बहुत हो गया, धर्म के नाम पर और आप गंदी राजनीति ना की जाए।

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