कुत्तों और बंदरों का गैंगवार खूब बटोर रही है सुर्खियां।
एक कुत्ते द्वारा एक बंदर के बच्चे को मारने की घटना को लेकर पिछले 1 महीने से महाराष्ट्र के माजलगांव में बंदरों और कुत्तों के बीच संघर्ष जारी है। सोशल मीडिया ने बंदर और कुत्तों के बीच चले संघर्ष को गैंगवार बताकर इस घटना को सुर्ख़ियों में ला दिया है। सोशल मीडिया पर इस घटना की खबरें आने के बाद से लोग इस घटना में काफी दिलचस्पी ले रहे हैं।
बच्चा इंसान का हो या फिर जानवर का, बच्चा तो आखिर बच्चा ही होता है।महाराष्ट्र के बीड़ जिले के माजलगांव में एक कुत्ते द्वारा एक बंदर के बच्चे को मारे जाने की घटना के बाद पिछले 1 महीने से गांव में भय और आतंक का माहौल है।बंदरों और कुत्तों के बीच चल रहे गैंगवार के चलते ग्रामीण दहशत में रहते हैं। कब बंदर किस पर हमला कर दे कहना मुश्किल है। और यही वजह है कि गांव के लोग अपने घरों से निकलने में भी डरते हैं। इलाके के लोगों ने वन विभाग से मदद की गुहार लगाया है। और वन विभाग लगातार बंदरों को पकड़ने की कोशिश में जुटे हुए है। बंदर के बच्चे की हत्या के बाद बंदरों का झुंड, कुत्तों को चुन चुन कर मार रहे हैं। आलम यह है कि बंदर कुत्ते के पिल्ले को लेकर मुहल्ले के किसी भी छत पर ले जाकर छत से नीचे फेंक देते हैं। जिससे वहां मौजूद लोगों को अपने ऊपर हमले का डर बना रहता है। बंदरों की बदले की यह कार्रवाई पिछले करीब एक माह से जारी है। गांव में बंदरों के एक समूह ने बदला लेते हुए करीब 250 कुत्तों को मार डाला। ग्रामीणों के मुताबिक बंदरों ने कुत्तों से बदला लेने का सिलसिला तब शुरू किया जब कुछ कुत्तों ने एक बंदर के बच्चे को मार डाला। इससे बंदर खफा हो गए और उन्होंने कुत्तों को मारना शुरू कर दिया। बंदर कुत्ते को देखते हुए उसे खींचकर ले जाते हैं और मारने के बाद पेड़ या मकानों की छतों से फेंक देते हैं।
किसी भी छत और पेड़ से अचानक बंदरों का समूह सड़क पर कूद जाता है। लोग इस हिंसक बंदर को देखते ही इधर-उधर भागना शुरू कर देते हैं। कई बार भागने के दौरान लोग घायल भी हो जाते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि हालत यह हो गई है कि गांव में शायद ही कोई कुत्ता बचा है। बंदरों में इतना आक्रोश है कि वे अब स्कूली बच्चों को भी निशाना बनाने लगे हैं। बंदरों के गुस्से से ग्रामीणों में भय का माहौल पैदा हो रहा है।
बंदरों का अत्याचार इतना ज्यादा बढ़ गया है कि अब घरों में घुसकर पालतू कुत्तों को भी नहीं बक्स रहे हैं।
लगभग पांच हजार की आबादी वाले इस गांव के लोग बंदरों के आंतक से इतना परेशान हो गए हैं कि वन भिगाग से जान की भीख मांगनी पड़ रही है। बंदरों ने सड़क पर चलने वाले लोगों पर भी कई बार हमला किया है। वन विभाग ने पिंजरे में कुछ बंदरों को कैद किया है। लेकिन लोगों का कहना है कि इसका स्थायी समाधान ढूंढ़ना जरूरी है।
बंदर का अत्याचार इतना बढ़ गया है कि अब बंदर कुत्तों के साथ ही साथ इंसान के बच्चों को भी पकड़ने लगे हैं। गांव के लोग अपनी सुरक्षा में कभी कबार बंदरों पर हमला भी कर देते हैं लेकिन डर इस बात का है कि कहीं बंदर इंसानों पर हमला करना शुरू ना कर दें। कुत्तों और बंदरों के बीच गैंगवार की खबरें सोशल मीडिया पर छाई हुई है। कुत्तों और बंदरों के गैंगवार से संबंधित तरह-तरह की तस्वीरें सोशल मीडिया में छाई हुई है। जिसका लोग काफी आनंद भी उठा रहे हैं ।लेकिन जिस प्रकार बंदर माजलगांव में तांडव मचाए हुए हैं वह बहुत ही चिंता का विषय है। वन विभाग को बहुत सूझबूझ से इस समस्या का हल ढूंढना होगा।