कामतापुरी भाषा को लेकर काफी सालों से धर्म नारायण वर्मा काम करते आ रहे हैं। आखिरकार उनके इस काम को देखकर देश ने उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजा है। धर्म नारायण वर्मा पिछले कई सालों से बीमार होने के कारण बिस्तर पर ही अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं। पद्मश्री पुरस्कार को लेने के लिए दिल्ली जाना अनिवार्य है। लेकिन धर्म नारायण वर्मा के लिए यह संभव नहीं था। सरकार के नियम के मुताबिक जीवित रहते हुए पद्मश्री पुरस्कार परिवार के किसी सदस्य को नहीं दिया जा सकता। यह पहला मौका है ,जब भारत सरकार ने कूचबिहार के डीएम पवन कदियान के हाथों 86 वर्षीय धर्म नारायण वर्मा के घर जाकर उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया ।इस मौके पर तूफानगंज महकमा शासक रोहन लक्ष्मीकांत जोशी, तूफानगंज दो नंबर ब्लॉक के ब्लॉक अधिकारी प्रसनजीत कुंडू सहित इलाके के कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। कामतापुरी भाषा के लिए काम कर रहे धर्म नारायण वर्मा को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किए जाने को लेकर इलाके के लोग बेहद गर्वित हैं। कामतापुरी भाषा को लेकर काम कर रहे धर्म नारायण वर्मा को कई बार राजनीतिक नेताओं ने विघटनकारी तत्व बोलकर भी संबोधित किया था। लेकिन धर्म नारायण वर्मा लगातार अपने काम में जुटे रहे ।अपनी जाति और अपनी भाषा को लेकर उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी दाव पर लगा दिया था।