Angered by the ban on sand and stone mining, people protested

नदियों से बालू और पत्थर खनन पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से उत्तर बंगाल के अधिकांश जिलों में कई हजार श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं और उनको आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ रहा है। पूजा से पहले भी पाबंदी ना हटने के वजह से बालू और पत्थर के व्यवसाय से जुड़े लोग ने प्रशासन के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया है।कूचबिहार के बक्शीरहाट इलाके में रायडाक नदी रिवर बेल्ट से बालू और पत्थर निकालने पर लगे पाबंदी के बाद से इलाके के कमोबेश 2500 लोग पिछले 6 महीने से हाथों पर हाथ धरे बैठे हैं। एक और जहां करोना महामारी के वजह से मंदी का दौर चल रहा है, वहीं दूसरी ओर बालू और पत्थर खनन पर लगाई पाबंदी के बाद से पूरे इलाके में निर्माण कार्य बंद पड़ा है। और इसके वजह से निर्माण कार्य से जुड़े प्रमोटरों को भी बहुत दिक्कत उठानी पड़ रही है। बालू और पत्थर के व्यवसाय से श्रमिक व्यापारी ट्रक चालक सभी लोग जुड़े हुए हैं। ग्रीन ट्रिब्यून के आदेश के मुताबिक नदियों से बालू और पत्थर के खनन पर लगी पाबंदी के कारण बेरोजगार युवक अब दूसरे राज्य में काम की तलाश में निकल रहे हैं। गौरतलब है कि रायडाक नदी किनारे 22 रिवर बेल्ट है जहां से बालू और पत्थर का खनन होता है। बालू और पत्थर खनन पर 6 महीने से पाबंदी के कारण इलाके के लोगों की आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो गई है । यही वजह है कि इलाके के लोगों ने बीते कल रायडाक नदी किनारे विरोध प्रदर्शन किया। बालू और पत्थर के व्यवसाय से जुड़े श्रमिक और व्यापारियों ने बताया कि पूजा में मुश्किल से कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं और हमारा कामकाज पूरी तरह से ठप पड़ा है। प्रशासन को इस संबंध में सोचना चाहिए। अगर प्रशासन हमारे बारे में नहीं सोचेंगे तो हम जोरदार आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

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